न चलती बस में, न अपने घर, न ऑफिस में... मेरी आजादी किस डिब्बे में बंद है?
न चलती बस में, न अपने घर, न ऑफिस में... मेरी आजादी किस डिब्बे में बंद है?
Kolkata Doctor Murder केस के बाद एक बार फिर लड़कियां आधी रात को सड़कों पर उतरी हैं, अपनी आजादी मांगने. काश से लड़कियां अकेले भी ऐसे ही आधी रात को सड़कों पर जा सकें. काश, मैं और मेरे देश की बेटियां भी अपनी आजादी का जश्न मना सकें जो शायद किसी डिब्बे में बंद है... आप सब को आजादी की सालगिरह मुबारक हो.
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